
बजट 2025 पेश होने में कुछ ही दिन बाकी हैं और उससे पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक अहम निर्णय लिया है। 16 जनवरी को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन और अन्य भत्तों में संशोधन के लिए 8वें वेतन आयोग को मंजूरी दे दी। इस फैसले का सीधा असर केंद्र सरकार के कर्मचारियों, खासकर रक्षा क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों, तथा पेंशनर्स पर होगा। इस बदलाव से लगभग 50 लाख केंद्र सरकार के कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनधारकों को फायदा होगा।
8वें वेतन आयोग की सिफारिशें
केंद्र सरकार का 8वां वेतन आयोग, 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद आने वाला है, जिसका गठन 2014 में हुआ था और इसके द्वारा की गई सिफारिशें 1 जनवरी, 2016 से लागू हुई थीं। अब 2026 में 7वें वेतन आयोग की अवधि समाप्त हो रही है, ऐसे में केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दी है, जो कर्मचारियों और पेंशनर्स की वेतन संरचना में सुधार करेगा।
उम्मीद की जा रही है कि 8वें वेतन आयोग के तहत केंद्र सरकार के कर्मचारी वेतन वृद्धि के साथ-साथ भत्तों में भी एडजस्टमेंट देख सकते हैं। विशेष रूप से, फिटमेंट फैक्टर को 2.57 से बढ़ाकर 2.86 किया जा सकता है। यदि ऐसा होता है तो कर्मचारियों की बेसिक मिनिमम सैलरी 18,000 रुपये से बढ़कर 51,480 रुपये तक हो सकती है, जिससे कर्मचारियों को वेतन में एक बड़ा लाभ मिलेगा।
पेंशन में बढ़ोतरी
फिटमेंट फैक्टर में इस अपेक्षित वृद्धि का सीधा असर पेंशन पर भी पड़ने की संभावना है। अगर फिटमेंट फैक्टर को 2.86 तक बढ़ाया जाता है, तो केंद्र सरकार के पेंशनधारकों की पेंशन मौजूदा 9,000 रुपये से बढ़कर 22,500 रुपये से 25,200 रुपये के बीच हो सकती है। इसके अलावा, पेंशन के अलावा अन्य भत्तों में भी बड़ी बढ़ोतरी हो सकती है, जो पेंशनधारकों के लिए एक राहत होगी।
इस वृद्धि के साथ, 8वें वेतन आयोग के तहत सैलरी स्ट्रक्चर में लगभग 186 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है। 7वें वेतन आयोग में 2.57 के निर्धारित फिटमेंट फैक्टर के साथ केंद्र सरकार के कर्मचारियों की मिनिमम बेसिक सैलरी 7,000 रुपये से बढ़कर 18,000 रुपये हो गई थी। इसी तरह, मिनिमम पेंशन भी 2,500 रुपये से बढ़कर 9,000 रुपये हो गई थी।
वेतन आयोग की नियुक्ति और भविष्य की प्रक्रिया
8वें वेतन आयोग के गठन के बाद, इस आयोग के अध्यक्ष और दो अन्य आयोग सदस्यों की नियुक्ति की जाएगी। इसके बाद, केंद्र और राज्य सरकारों के मंत्रियों और अन्य संबंधित स्टेकहोल्डर्स के बीच परामर्श प्रक्रिया की जाएगी, जिसके बाद आयोग की सिफारिशों को अंतिम रूप दिया जाएगा। वेतन आयोग आमतौर पर हर 10 साल में गठित होता है, ताकि केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन और भत्तों की समीक्षा की जा सके।
राज्य सरकारें भी केंद्रीय वेतन आयोग की तर्ज पर अपने कर्मचारियों के वेतन में बदलाव करती हैं, जिससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि राज्य और केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बीच वेतन संरचना में अंतर न हो।
उम्मीदें और कर्मचारियों की प्रतिक्रियाएँ
केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनधारकों के लिए यह फैसला बहुत अहम है। उनके लिए यह कदम एक तरह से वित्तीय राहत का संकेत है, क्योंकि वेतन में इस तरह की वृद्धि उनके जीवनस्तर को सुधारने में मदद करेगी। कर्मचारियों के संगठनों ने इस फैसले का स्वागत किया है, और अब उनकी उम्मीदें इस बात पर टिकी हुई हैं कि सरकार की ओर से जल्दी ही आधिकारिक घोषणा की जाएगी।
केंद्र सरकार के कर्मचारी लंबे समय से वेतन वृद्धि और पेंशन में सुधार की मांग कर रहे थे, और यह कदम उनकी उम्मीदों पर खरा उतरता हुआ दिखाई दे रहा है। हालांकि, कर्मचारियों का यह भी कहना है कि वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि सिफारिशें शीघ्र और प्रभावी तरीके से लागू हो सकें।