
पिछले बजट में वित्त मंत्री ने शराब, सिगरेट और तंबाकू जैसे ‘सिन प्रोडक्ट्स’ पर टैक्स दरों को अपरिवर्तित रखा था। हालांकि, 2023-24 के बजट में पान मसाला, सिगार और चबाने वाले तंबाकू पर टैक्स बढ़ाया गया था। अब उम्मीद जताई जा रही है कि 2025 के बजट में इन टैक्स दरों में बड़ा बदलाव हो सकता है।
क्या है ‘सिन टैक्स’ और इसका उद्देश्य?
‘सिन टैक्स’ या ‘पाप टैक्स’ उन वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाता है, जिन्हें समाज और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है। सिगरेट, शराब, तंबाकू और जुआ जैसे प्रोडक्ट्स इसके अंतर्गत आते हैं। इसका उद्देश्य इन उत्पादों की खपत को हतोत्साहित करना और सामाजिक नुकसान को कम करना है।
यह टैक्स सरकार के लिए राजस्व का एक स्थिर स्रोत भी है, जिसका उपयोग सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं, नशामुक्ति अभियानों और कल्याणकारी योजनाओं के लिए किया जाता है। भारत में 2019 में अरविंद सुब्रमण्यन समिति ने एकीकृत जीएसटी व्यवस्था में कुछ वस्तुओं पर 40 प्रतिशत ‘सिन टैक्स’ लगाने की सिफारिश की थी।
2025 के बजट में ‘सिन टैक्स’ पर क्या हो सकता है फैसला?
पिछले साल दिसंबर 2024 में मंत्रियों के एक समूह (Group of Ministers) ने ‘सिन गुड्स’ पर 35 प्रतिशत जीएसटी दर की सिफारिश की थी। इसके तहत वातयुक्त पेय पदार्थों, सिगरेट और तंबाकू जैसे उत्पादों पर टैक्स बढ़ाने का प्रस्ताव दिया गया था।
अगर यह सिफारिश लागू होती है, तो इन उत्पादों की कीमतों में भारी वृद्धि हो सकती है। हालांकि, वर्तमान में इस पर कोई औपचारिक घोषणा नहीं हुई है। भारत, जो WHO के 182 फ्रेमवर्क कन्वेंशन का हस्ताक्षरकर्ता है, को अपने तंबाकू उत्पादों पर रिटेल मूल्य का कम से कम 75 प्रतिशत टैक्स लगाने की आवश्यकता है।
भारत में मौजूदा ‘सिन टैक्स’ की स्थिति
भारत में सिगरेट पर लगभग 52.7 प्रतिशत, चबाने वाले तंबाकू पर 63.8 प्रतिशत और बीड़ी पर मात्र 22 प्रतिशत टैक्स है। ये दरें वैश्विक मानकों से काफी पीछे हैं।
तंबाकू जैसे उत्पादों पर टैक्स बढ़ाने से राजस्व में वृद्धि होती है, क्योंकि इनकी मांग लचीली होती है और उपभोग में अचानक कमी नहीं आती। इस टैक्स से मिलने वाले राजस्व का उपयोग स्वास्थ्य कार्यक्रमों और आपदा राहत जैसे उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
‘सिन टैक्स’ बढ़ाने की जरूरत
तंबाकू और शराब जैसे उत्पादों से होने वाले स्वास्थ्य नुकसान को ध्यान में रखते हुए ‘सिन टैक्स’ को बढ़ाने की जरूरत महसूस की जा रही है। इससे न केवल इन उत्पादों की खपत कम होगी, बल्कि सरकार को स्थिर आय भी मिलेगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि टैक्स में वृद्धि करने से युवा पीढ़ी और निचले वर्गों में इन उत्पादों का उपभोग घट सकता है। इसके अलावा, इससे जुटाए गए धन का उपयोग नशामुक्ति अभियानों और स्वास्थ्य कार्यक्रमों में किया जा सकता है।
भविष्य की संभावनाएं
वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में ‘सिन गुड्स’ पर 35 प्रतिशत जीएसटी दर लागू होने की संभावना है। हालांकि, अभी यह देखना बाकी है कि सरकार इस पर क्या कदम उठाती है।
भारत को अपने तंबाकू टैक्स पॉलिसी को वैश्विक मानकों के अनुरूप लाना होगा। इसके साथ ही, सभी ‘सिन प्रोडक्ट्स’ पर समान टैक्स दर लागू करनी होगी। इनसे उत्पन्न राजस्व का उपयोग स्वास्थ्य और कल्याणकारी योजनाओं के लिए किया जा सकता है।
संभावित असर
अगर 2025 के बजट में ‘सिन टैक्स’ बढ़ाया जाता है, तो इसका असर इन उत्पादों की कीमतों और खपत पर साफ देखा जा सकेगा। यह टैक्स न केवल राजस्व बढ़ाने में मदद करेगा, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य को सुधारने में भी अहम भूमिका निभाएगा।