
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 7 अन्य पिछड़ी जातियों (OBC) को अनुसूचित जाति (SC) की सूची में शामिल करने के लिए बड़ा निर्णय लिया है। इस प्रक्रिया को तेज़ी से आगे बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजने की तैयारी हो रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ मत्स्य विकास मंत्री और निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद और एमएसएमई मंत्री राकेश सचान के बीच इस मुद्दे पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई।
इस विषय पर पिछले कई वर्षों से अधिसूचनाएं जारी की जाती रही हैं, लेकिन तकनीकी खामियों के चलते यह प्रक्रिया रुकती रही। उच्च न्यायालय द्वारा हाल में इन अधिसूचनाओं को रद्द करने के बाद अब योगी सरकार ने इसे एक बार फिर से उठाने का फैसला किया है। यह फैसला राज्य में 17 अतिपिछड़ी जातियों को आरक्षण देने के समाज की लंबे समय से लंबित मांगों को पूरा करने के लिए किया गया है।
तकनीकी खामियों को दूर करने का प्रयास
योगी सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि इस बार 17 जातियों को अनुसूचित जाति में सीधे तौर पर शामिल नहीं किया जाएगा, बल्कि उनकी उपजातियों को परिभाषित करते हुए संविधान आदेश 1950 के तहत उन्हें सूचीबद्ध किया जाएगा। यह प्रक्रिया उत्तराखंड सरकार द्वारा शिल्पकार जाति समूह को परिभाषित करने के मॉडल के आधार पर होगी।
मत्स्य विकास मंत्री डॉ. संजय निषाद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अवगत कराया कि मछुवा समुदाय की उपजातियां पहले से ही अनुसूचित जाति सूची क्रमांक-53 और क्रमांक-66 में “मझवार” और “तुरैहा” के रूप में दर्ज हैं। अब आवश्यकता है कि इन समूहों को फिर से परिभाषित करते हुए इन्हें अनुसूचित जाति आरक्षण का लाभ दिया जाए। मुख्यमंत्री ने इस दिशा में जल्द से जल्द काम करने का आश्वासन दिया है।
17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का प्रस्ताव
उत्तर प्रदेश में कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिंद, भर, राजभर, धीमर, बाथम, तुरहा, गोड़िया, मांझी और मछुवा जैसी जातियां OBC श्रेणी में आती हैं। इन जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग लंबे समय से चली आ रही है। हालांकि, इस विषय पर पूर्व की सरकारों ने चुनावी लाभ लेने के लिए अधिसूचनाएं जारी की थीं, लेकिन उनकी प्रक्रिया असंवैधानिक होने के कारण अदालतों में चुनौती दी गई।
हाल ही में हाई कोर्ट ने इन अधिसूचनाओं को रद्द कर दिया था। इसके बाद यह मामला फिर से योगी सरकार के पाले में आ गया। सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए तय किया है कि केंद्र को जल्द से जल्द एक विस्तृत प्रस्ताव भेजा जाएगा।
केंद्र सरकार को भेजा जाएगा प्रस्ताव
मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ हुई बैठक के बाद मंत्री डॉ. संजय निषाद ने बताया कि सरकार मझवार आरक्षण पर तेजी से काम कर रही है। सीएम ने समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण को निर्देश दिया है कि वे सभी तकनीकी खामियों को दूर करें और प्रस्ताव को अंतिम रूप दें। इसे केंद्र सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
डॉ. संजय निषाद ने यह भी बताया कि अगर यह प्रक्रिया पूरी हो जाती है तो 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का आरक्षण मिल सकेगा। यह न केवल इन जातियों के लिए एक ऐतिहासिक कदम होगा, बल्कि यह प्रदेश में सामाजिक समरसता को भी मजबूत करेगा।
राजनीतिक और सामाजिक महत्व
यह फैसला राजनीतिक दृष्टि से भी अहम माना जा रहा है। इन जातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा मिलने से न केवल सामाजिक न्याय सुनिश्चित होगा, बल्कि सरकार के लिए यह एक बड़ा वोट बैंक भी बन सकता है। विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं, लेकिन योगी सरकार इसे एक सकारात्मक और ठोस कदम के रूप में पेश कर रही है।