
फिल्मकार राम गोपाल वर्मा (Ram Gopal Verma) को चेक बाउंस (Cheque Bounce Law) मामले में मुंबई की अदालत ने तीन महीने की सजा सुनाई है। साथ ही उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया है। यह मामला चेक बाउंस कानून (Negotiable Instruments Act, 1981) के तहत दर्ज किया गया था। अगर आप भी इस तरह की परिस्थिति से बचना चाहते हैं, तो चेक जारी करते समय इन नियमों को समझना और पालन करना बेहद जरूरी है।
चेक बाउंस कैसे होता है?
चेक बाउंस तब होता है, जब चेक पर दर्ज राशि को भुगतान के लिए बैंक प्रस्तुत किया जाता है, लेकिन खाते में पर्याप्त धनराशि नहीं होती। मान लीजिए आपने ₹50,000 का चेक किसी को दिया और आपके खाते में उस तारीख को ₹50,000 से ₹1 भी कम है, तो चेक बाउंस मान लिया जाएगा। बैंक इसे वापस लौटा देगा और यह कानूनी मामला बन सकता है।
चेक बाउंस कानून का कानूनी ढांचा
चेक बाउंस के मामलों में निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट, 1981 की धारा 138 लागू होती है। इसके तहत चेक जारी करने वाले व्यक्ति को पहले नोटिस दिया जाता है। यदि नोटिस मिलने के बाद भी व्यक्ति निर्धारित समय सीमा के भीतर मामला सुलझाने में असफल रहता है, तो मामला कोर्ट तक जाता है। अदालत आरोपी पर जुर्माना, राशि लौटाने का आदेश, और जेल की सजा तक दे सकती है।
एफआईआर दर्ज कराने की जरूरत नहीं
भारतीय कानून के अनुसार, चेक बाउंस को आपराधिक मामला माना गया है, लेकिन इसमें एफआईआर दर्ज कराने की आवश्यकता नहीं होती। पीड़ित व्यक्ति सीधे मजिस्ट्रेट कोर्ट में शिकायत दर्ज करा सकता है। कोर्ट इस पर संज्ञान लेते हुए कार्रवाई का आदेश दे सकता है।
2 साल की जेल और दोगुना जुर्माना
चेक बाउंस कानून में स्पष्ट प्रावधान है कि अगर कोई व्यक्ति बार-बार चेक बाउंस करता है, तो उसे कठोर सजा दी जा सकती है। कानून के अनुसार: पहली बार चेक बाउंस होने पर बिना मुकदमे के मामला निपटाने का मौका मिलता है। और बार-बार चेक बाउंस होने पर आरोपी को 2 साल तक जेल की सजा हो सकती है। साथ ही चेक की राशि का दोगुना तक जुर्माना लगाया जा सकता है।
कहां दर्ज करें शिकायत?
नए संशोधित कानून के अनुसार, चेक बाउंस की शिकायत उस स्थान पर की जा सकती है जहां से चेक जारी हुआ है या जिस बैंक शाखा में इसे प्रस्तुत किया गया था। इस संशोधन ने शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया को आसान और अधिक प्रभावी बना दिया है।
चेक बाउंस के मामलों का निपटारा
कानून यह भी कहता है कि चेक बाउंस के मामलों को छह महीने के भीतर निपटाना चाहिए। इससे पीड़ित व्यक्ति को जल्दी न्याय मिलता है और दोषी को सजा। हालांकि, यह कोर्ट की प्रक्रिया पर निर्भर करता है कि मामला कितनी जल्दी निपटाया जाए।
सावधानी बरतने की जरूरत
चेक जारी करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है: जैसे चेक पर सही तारीख और हस्ताक्षर करें। और जरूर सुनिश्चित करें कि खाते में पर्याप्त धनराशि है। इसके आलावा चेक जारी करते समय अपनी वित्तीय स्थिति का सही आकलन करें।
निष्कर्ष
राम गोपाल वर्मा जैसे मामलों से यह स्पष्ट है कि चेक बाउंस के मामलों को हल्के में लेना घातक हो सकता है। यदि आप चेक जारी करते हैं, तो सावधानी बरतें और कानून का पालन करें।