
1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में बजट 2025 पेश करने जा रही हैं। यह बजट देश की वार्षिक आय और व्यय का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करता है, जिसे समझना कई बार जटिल हो सकता है। आइए, इसे सरल भाषा में समझने की कोशिश करते हैं।
बजट 2025 देश की आर्थिक दिशा निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह आवश्यक है कि सरकार आय और व्यय के बीच संतुलन बनाए रखते हुए विकास और जनकल्याण को प्राथमिकता दे।
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देश का बजट: आपके घर के बजट जैसा
जिस प्रकार आप अपने घर के मासिक आय और खर्च का बजट बनाते हैं, उसी तरह सरकार भी पूरे वर्ष के लिए बजट तैयार करती है। अंतर केवल इतना है कि जहां आप महीने भर की आय-व्यय का हिसाब रखते हैं, वहीं सरकार सालभर की आय और खर्च का लेखा-जोखा प्रस्तुत करती है। सरकार की आय और खर्च दो मुख्य श्रेणियों में बंटी होती हैं: रेवेन्यू (राजस्व) और कैपिटल (पूंजी)।
- रेवेन्यू (राजस्व): यह वह आय है जो सरकार को नियमित रूप से प्राप्त होती है, जैसे कि कर (टैक्स) संग्रह। इसी प्रकार, नियमित खर्चों में सैलरी, पेंशन आदि शामिल हैं।
- कैपिटल (पूंजी): यह वह आय या खर्च है जो कभी-कभार होते हैं, जैसे कि सरकारी संपत्तियों की बिक्री से प्राप्त धन या इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर किया गया निवेश।
बजट का निर्माण: कैसे होता है प्रक्रिया
बजट बनाने की प्रक्रिया लगभग 6 महीने पहले शुरू हो जाती है। सितंबर में विभिन्न मंत्रालयों, विभागों, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से अगले वित्तीय वर्ष के लिए आवश्यक धनराशि का डेटा मांगा जाता है। इसके बाद, वित्त मंत्रालय इन सभी से प्राप्त जानकारी के आधार पर तय करता है कि किसे कितना फंड आवंटित किया जाए। इस प्रक्रिया में प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और नीति आयोग के इनपुट भी शामिल होते हैं। इसके अतिरिक्त, वित्त मंत्री उद्योग जगत के विशेषज्ञों से भी चर्चा करते हैं।
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किस विभाग को कितना फंड: निर्णय का आधार
विभिन्न मंत्रालयों और विभागों को फंड आवंटित करते समय सरकार कई कारकों पर विचार करती है:
- वर्तमान आवश्यकताएं: जैसे कि रक्षा मंत्रालय के लिए सुरक्षा आवश्यकताओं के अनुसार बजट बढ़ाया जा सकता है।
- विकास की प्राथमिकताएं: इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने के लिए अधिक फंड आवंटित किया जा सकता है।
- पिछले वर्ष का प्रदर्शन: यदि किसी विभाग ने पिछले वर्ष आवंटित फंड का प्रभावी उपयोग किया है, तो उसे अगले वर्ष अधिक फंड मिल सकता है।
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सरकार की आय के स्रोत और खर्च के क्षेत्र
आय के प्रमुख स्रोत:
- कर (टैक्स): आयकर, वस्तु एवं सेवा कर (GST), सीमा शुल्क आदि।
- गैर-कर राजस्व: सरकारी उपक्रमों के लाभांश, शुल्क, जुर्माने आदि।
- उधार: सरकारी बॉन्ड्स के माध्यम से या अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों से।
खर्च के प्रमुख क्षेत्र:
- योजनागत व्यय: शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, इंफ्रास्ट्रक्चर आदि पर खर्च।
- गैर-योजनागत व्यय: सैलरी, पेंशन, ब्याज भुगतान, सब्सिडी आदि।
संसद में बजट पेश करने का कारण
सरकार की सभी आय एक साझा कोष, जिसे ‘कंसोलिडेटेड फंड ऑफ इंडिया’ कहा जाता है, में जमा होती है। इस कोष से किसी भी खर्च के लिए संसद की मंजूरी आवश्यक होती है, क्योंकि यह जनता का धन है और संसद में जनता के चुने हुए प्रतिनिधि होते हैं।
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बजट 2025 से अपेक्षाएं
वर्तमान आर्थिक परिदृश्य को देखते हुए, बजट 2025 में निम्नलिखित क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जा सकता है:
- इंफ्रास्ट्रक्चर विकास: रेलवे के आधुनिकीकरण और विस्तार पर विशेष जोर दिया जा सकता है।
- कृषि क्षेत्र: कृषि क्षेत्र के लिए बजट में लगभग 15% की वृद्धि की योजना है, जो पिछले छह वर्षों में सबसे अधिक है।
- मध्यम वर्ग के लिए राहत: आयकर में कटौती या ईंधन और रसोई गैस पर करों में कमी की जा सकती है, जिससे मध्यम वर्ग को राहत मिलेगी।
- सब्सिडी: खाद्य, उर्वरक और रसोई गैस सब्सिडी में 8% की वृद्धि की संभावना है, जिससे कुल सब्सिडी खर्च $47.41 बिलियन हो सकता है।