
मध्य प्रदेश सरकार ने शराबबंदी को लेकर बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर ली है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने घोषणा की है कि प्रदेश के 17 धार्मिक शहरों में शराबबंदी लागू की जाएगी। यह ऐलान उन्होंने नरसिंहपुर जिले में आयोजित एक कार्यक्रम में किया। आज महेश्वर में आयोजित कैबिनेट बैठक में इस फैसले पर अंतिम मुहर लगने की संभावना है। नई आबकारी नीति पर चर्चा और अनुमोदन के साथ, इन धार्मिक नगरों को शराबबंदी के तहत शामिल करने का रास्ता साफ हो सकता है।
महेश्वर में ऐतिहासिक कैबिनेट बैठक: देवी अहिल्याबाई की 300वीं जयंती का सम्मान
महेश्वर में होने वाली ‘डेस्टिनेशन कैबिनेट मीटिंग’ देवी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती को समर्पित है। इस मौके पर सरकार ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लेने का संकेत दिया है। देवी अहिल्याबाई भारतीय इतिहास में प्रेरणा का स्रोत रही हैं और उनकी जयंती पर यह बैठक 22 साल बाद महेश्वर में आयोजित की जा रही है। इससे पहले 2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री उमा भारती के कार्यकाल में महेश्वर में कैबिनेट बैठक हुई थी।
शराबबंदी के दायरे में कौन-कौन से शहर होंगे शामिल?
मुख्यमंत्री ने जिन 17 धार्मिक नगरों में शराबबंदी की घोषणा की है, उनमें उज्जैन, ओरछा, सलकनपुर, चित्रकूट, ओंकारेश्वर, महेश्वर, मैहर, अमरकंटक और मंदसौर के पशुपतिनाथ मंदिर क्षेत्र प्रमुख हैं। ये सभी धार्मिक स्थल अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध हैं। उज्जैन और ओंकारेश्वर जैसे स्थान ज्योतिर्लिंग के रूप में जाने जाते हैं, जबकि मैहर शक्तिपीठ है। इसी तरह, महेश्वर और अमरकंटक अपनी विशिष्टता के कारण लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं।
राजस्व घाटे पर होगी चर्चा, नई नीतियों का होगा ऐलान
शराबबंदी लागू करने से इन शहरों में राजस्व नुकसान होना तय है। इस घाटे की भरपाई के लिए सरकार नई योजनाओं और नीतियों पर चर्चा करेगी। सरकार का ध्यान मुख्य रूप से धार्मिक नगरों में सुधार और पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करने पर है। नई आबकारी नीति में शराब की दुकानों की नीलामी के लिए सख्त शर्तें जोड़ी जाएंगी, जिससे राजस्व में संभावित वृद्धि हो सके।
देवी अहिल्याबाई के योगदान को मिलेगा सम्मान
इस बैठक का मुख्य उद्देश्य देवी अहिल्याबाई होल्कर के योगदान को श्रद्धांजलि देना है। उनके द्वारा स्थापित नीतियों और धार्मिक स्थलों के संरक्षण का उद्देश्य सरकार की नई योजनाओं में झलक सकता है। सरकार उनके जीवन और कार्यों को समर्पित कई योजनाओं का ऐलान कर सकती है।
महेश्वर की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में विशेष महत्व
महेश्वर, जिसे भारत के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक केंद्रों में गिना जाता है, इस बैठक का आयोजन स्थल बना है। यह नर्मदा नदी के तट पर बसा हुआ है और इसके धार्मिक महत्व के कारण इसे बार-बार श्रद्धालुओं और पर्यटकों द्वारा सराहा जाता है। मुख्यमंत्री मोहन यादव का कहना है कि महेश्वर में बैठक आयोजित कर देवी अहिल्याबाई की विरासत को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।