
इंदौर पुलिस ने भीख देने और लेने के मामले में दो एफआईआर (FIR) दर्ज की है। इंदौर प्रशासन ने शहर को “भिखारी मुक्त” बनाने के लिए एक जनवरी से सख्त कदम उठाए हैं। प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर कोई व्यक्ति भिखारियों को भीख देता है, तो उसके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 223 के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसी क्रम में एक व्यक्ति द्वारा भीख देने और एक महिला भिखारी द्वारा भीख लेने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है।
इंदौर में लागू हुआ “भिखारी मुक्त” अभियान
केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने देश के 10 शहरों को “भिखारी मुक्त” बनाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है, जिसमें इंदौर भी शामिल है। इंदौर प्रशासन ने इस अभियान के तहत दिसंबर माह से जागरूकता अभियान चलाया और जनवरी 2025 से शहर में भीख देने और लेने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया।
पिछले महीने इंदौर के जिला कलेक्टर (DM) आशीष सिंह ने लोगों से भीख न देने की अपील की थी। प्रशासन ने स्पष्ट किया कि शहर को “भिखारी मुक्त” बनाने के लिए सामाजिक और कानूनी कदम उठाए जा रहे हैं। इसके तहत भीख मांगने वालों का पुनर्वास भी किया जा रहा है और भिखारियों का शोषण करने वाले गिरोहों पर शिकंजा कसा जा रहा है।
भीख देने और लेने पर दर्ज हुई एफआईआर
इंदौर पुलिस ने हाल ही में भिक्षावृत्ति उन्मूलन दल की शिकायत पर दो एफआईआर दर्ज की हैं। पहली एफआईआर एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ दर्ज की गई है, जिसने शहर में भीख दी थी। दूसरी एफआईआर एक महिला भिखारी के खिलाफ दर्ज की गई है, जिसने भीख ली थी। पुलिस ने इस मामले में बीएनएस की धारा 223 के तहत कार्रवाई की है।
यह धारा किसी सरकारी आदेश का पालन न करने पर लागू होती है। इसके तहत दोषी पाए जाने पर एक साल तक की सजा, 2,500 रुपये तक का जुर्माना या दोनों का प्रावधान है। हालांकि, अभी तक इस मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
डीएम की अपील और पुनर्वास के प्रयास
इंदौर के डीएम आशीष सिंह ने शहर के निवासियों से अपील की है कि वे किसी को भी भीख न दें। उनका कहना है कि भीख देने से भिक्षावृत्ति को बढ़ावा मिलता है और यह भिखारियों के शोषण का कारण बनता है। उन्होंने यह भी बताया कि प्रशासन ने हाल ही में एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो बच्चों और महिलाओं को जबरन भीख मंगवाने का काम करता था।
प्रशासन ने भिखारियों के पुनर्वास के लिए विशेष योजनाएं शुरू की हैं। इसके तहत कई भिखारियों को आश्रय गृहों में भेजा गया है और उन्हें स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
जागरूकता अभियान और सख्त कदम
इंदौर प्रशासन ने दिसंबर 2024 से “भिखारी मुक्त” अभियान के तहत जागरूकता फैलाने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए। शहर के प्रमुख चौराहों और सार्वजनिक स्थलों पर बैनर और पोस्टर लगाए गए। इसके साथ ही, लोगों को यह जानकारी दी गई कि भीख देना कानून का उल्लंघन है और इसके लिए दंड का प्रावधान है।
आगे क्या?
इंदौर पुलिस ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह “भिखारी मुक्त” अभियान को सख्ती से लागू करेगी। प्रशासन की योजना है कि शहर को पूरी तरह से भिक्षावृत्ति से मुक्त किया जाए और इसके लिए सभी संबंधित पक्षों को जागरूक और जिम्मेदार बनाया जाए।