
मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए मोबाइल के माध्यम से डिजिटल लोन बांटने वाली कंपनी X10 फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है। इस कदम के पीछे कंपनी द्वारा लोन ऑपरेशंस में अनियमितताएं बरतने का कारण बताया गया है। रिजर्व बैंक का यह कदम उन वित्तीय संस्थाओं के खिलाफ उठाया गया है, जो डिजिटल लोन के नाम पर ग्राहकों को धोखा देने के कार्यों में संलिप्त थीं।
RBI की जांच और कार्रवाई
रिजर्व बैंक ने X10 फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के खिलाफ यह कड़ा कदम उठाया है क्योंकि कंपनी ने अपने डिजिटल लोन ऑपरेशंस में निर्धारित आचार संहिता और दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया था। कंपनी ने मुख्य कार्यों जैसे क्रेडिट वैल्यूएशन, ब्याज दर निर्धारण और ‘अपने ग्राहक को जानिए’ (KYC) सत्यापन को अन्य सर्विस प्रोवाइडर्स को आउटसोर्स किया था। इसके अलावा, कंपनी ने इन आउटसोर्स किए गए सेवा प्रदाताओं की जांच और निगरानी करने में भी चूक की, जो रिजर्व बैंक के नियमों के खिलाफ है।
X10 फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का निर्णय रिजर्व बैंक ने ग्राहकों की सुरक्षा और वित्तीय स्थिरता को ध्यान में रखते हुए लिया है। इससे पहले, कंपनी ने अपना पंजीकरण 2015 में अभिषेक सिक्योरिटीज लिमिटेड के नाम से प्राप्त किया था, और इसे वित्तीय सेवाएं प्रदान करने के लिए एक पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी किया गया था।
कंपनी के लोन वितरण की अनियमितताएं
इस मामले में विशेष रूप से चिंता का विषय यह था कि X10 फाइनेंशियल सर्विसेज ने लोन वितरण प्रक्रिया में विभिन्न बाहरी कंपनियों को शामिल किया था, लेकिन इन कंपनियों की दक्षता और विश्वसनीयता की जांच किए बिना यह काम किया जा रहा था। रिजर्व बैंक का कहना है कि वित्तीय सेवाओं की आउटसोर्सिंग के दौरान पूरी पारदर्शिता और जिम्मेदारी सुनिश्चित करना अनिवार्य है, लेकिन कंपनी ने इन मानकों का पालन नहीं किया।
इसके अलावा, लोन के लिए ब्याज दरें तय करते समय भी कंपनी ने कोई स्पष्ट दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया, जिससे संभावित रूप से उपभोक्ताओं को उच्च ब्याज दरों का सामना करना पड़ा। ऐसे मामलों में रिजर्व बैंक की ओर से सख्ती जरूरी हो जाती है ताकि वित्तीय बाजार में विश्वास बना रहे और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा की जा सके।
RBI की सख्त निगरानी
भारतीय रिजर्व बैंक समय-समय पर वित्तीय कंपनियों और बैंकों पर अपनी निगरानी बढ़ाता है और जब किसी संस्थान द्वारा नियमों का उल्लंघन होता है, तो वह कार्रवाई करने में पीछे नहीं हटता। इस वर्ष, आरबीआई ने पहले भी कुछ बैंकों और फाइनेंशियल कंपनियों के खिलाफ इसी तरह के कड़े कदम उठाए थे, जिसमें लाइसेंस रद्द करने की घटनाएं भी शामिल थीं।
इसी प्रकार, पिछले साल जून में आरबीआई ने बनारस मर्केंटाइल सहकारी बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया था, क्योंकि बैंक की वित्तीय स्थिति बिगड़ चुकी थी। यह भी एक उदाहरण है कि कैसे आरबीआई उपभोक्ताओं की सुरक्षा और बैंकों की स्थिरता को बनाए रखने के लिए कठोर कदम उठाता है।
X10 की स्थिति और भविष्य
अब X10 फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के लिए आगे का रास्ता कठिन हो सकता है। रिजर्व बैंक के द्वारा रजिस्ट्रेशन रद्द किए जाने के बाद कंपनी के पास अब लोन प्रदान करने की कानूनी अनुमति नहीं है। इससे कंपनी के ऑपरेशंस में भी एक बड़ा व्यवधान आएगा। हालांकि, कंपनी के द्वारा लोन देने वाले ऐप्स और अन्य डिजिटल सेवाओं पर विचार किया जा सकता है, लेकिन इन सभी ऑपरेशनों को नए दिशानिर्देशों के तहत संचालित करना होगा।
इस मामले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि डिजिटल लोन ऑपरेशंस में अनुशासन और पारदर्शिता कितनी महत्वपूर्ण है, और इससे यह भी साबित होता है कि वित्तीय संस्थाओं को अपनी सेवाओं को प्रभावी और सुरक्षित तरीके से संचालन करने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
भारतीय रिजर्व बैंक का यह कदम डिजिटल लोन बाजार में एक चेतावनी के रूप में उभरा है, जिससे अन्य कंपनियों को भी यह संदेश मिलेगा कि नियमों का उल्लंघन करने पर उन्हें गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ सकता है। अब कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे अपने ग्राहक के हितों की रक्षा करते हुए अपनी सेवाओं को नियमों के अनुसार प्रदान करें, ताकि भविष्य में ऐसी समस्याओं से बचा जा सके।