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कोर्ट का बड़ा फैसला, सैफ अली खान की 15 हजार करोड़ की संपत्ति पर सरकार का होगा कब्जा!

भोपाल के नवाबों की ऐतिहासिक संपत्तियों पर सरकार का दावा, हाई कोर्ट के आदेश के बाद सैफ अली खान और उनके परिवार के पास सीमित विकल्प बचे। क्या इस कानूनी लड़ाई में पटौदी परिवार हार जाएगा?

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कोर्ट का बड़ा फैसला, सैफ अली खान की 15 हजार करोड़ की संपत्ति पर सरकार का होगा कब्जा!

बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान के परिवार की 15 हज़ार करोड़ रुपए की संपत्ति पर संकट मंडरा रहा है। यह संपत्ति भोपाल के कोहेफिजा से चिकलोद तक फैली हुई है और इसमें करीब 100 एकड़ जमीन शामिल है, जिस पर लगभग डेढ़ लाख लोग रह रहे हैं। इस संपत्ति को लेकर चल रहा कानूनी विवाद अब एक नाजुक मोड़ पर पहुंच गया है, क्योंकि 2015 से चले आ रहे स्टे को खत्म कर दिया गया है।

हाई कोर्ट के आदेश के बाद बढ़ीं परेशानियां

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने हाल ही में अभिनेता सैफ अली खान, उनकी मां शर्मिला टैगोर, बहनें सोहा और सबा अली खान, और पटौदी परिवार की अन्य सदस्य सबीहा सुल्तान को शत्रु संपत्ति (Enemy Property) के विवाद में अपना पक्ष रखने का आदेश दिया था। कोर्ट ने साफ कहा था कि 30 दिन के भीतर अपीलीय प्राधिकरण के समक्ष दावा पेश करना होगा।

हालांकि, यह समयसीमा खत्म हो चुकी है और पटौदी परिवार की ओर से अब तक कोई औपचारिक दावा नहीं किया गया है। अब उनके पास केवल डिवीजन बेंच में चुनौती देने का विकल्प बचा है। यदि ऐसा नहीं होता है, तो सरकार इस संपत्ति को अपने कब्जे में ले सकती है।

क्या है शत्रु संपत्ति का मामला?

यह विवाद शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 से जुड़ा है। इस अधिनियम के तहत, जिन संपत्तियों के मालिक पाकिस्तान या चीन में जाकर बस गए, उन्हें भारतीय सरकार ने “शत्रु संपत्ति” घोषित कर दिया। भोपाल के आखिरी नवाब हमिदुल्लाह खान की बड़ी बेटी राजकुमारी आबिदा सुल्तान, 1950 में पाकिस्तान चली गई थीं। इसी कारण नवाब की संपत्तियों को भारत के शत्रु संपत्ति संरक्षक (Custodian of Enemy Property of India, CEPI) ने शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया।

पटौदी परिवार का दावा है कि नवाब की दूसरी बेटी साजिदा सुल्तान बेगम, जो सैफ अली खान की दादी थीं, को 1947 के भोपाल उत्तराधिकार अधिनियम के तहत संपत्ति का उत्तराधिकारी घोषित किया गया था। उनके अनुसार, साजिदा के बाद उनका परिवार इस संपत्ति का वैध उत्तराधिकारी है।

2015 में शुरू हुआ कानूनी विवाद

पटौदी परिवार ने 2015 में एक याचिका दाखिल कर, सरकार द्वारा संपत्तियों को शत्रु संपत्ति घोषित करने के फैसले को चुनौती दी थी। तब से इस मामले में कोर्ट का स्टे लगा हुआ था, जो अब समाप्त हो चुका है।

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पिछले महीने, हाई कोर्ट की जबलपुर पीठ ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया था। कोर्ट ने पटौदी परिवार को अपीलीय प्राधिकरण के समक्ष दावा पेश करने की स्वतंत्रता दी, लेकिन अब यह समयसीमा खत्म हो चुकी है।

डेढ़ लाख लोगों का भविष्य अधर में

पटौदी परिवार की संपत्तियां केवल कानूनी विवाद का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि इन पर डेढ़ लाख लोगों का जीवन निर्भर करता है। 100 एकड़ में फैली इस जमीन पर कई आवासीय कॉलोनियां और व्यवसायिक संस्थान बने हुए हैं। यदि सरकार इस संपत्ति को जब्त करती है, तो इन लोगों के भविष्य पर भी संकट आ सकता है।

पटौदी परिवार के पास क्या विकल्प हैं?

पटौदी परिवार के पास अब भी डिवीजन बेंच में अपील करने का विकल्प है। यदि वे ऐसा करते हैं, तो उनके दावों की फिर से जांच की जाएगी। इसके अलावा, यदि डिवीजन बेंच का फैसला भी उनके पक्ष में नहीं आता है, तो उन्हें सुप्रीम कोर्ट का रुख करना पड़ सकता है।

ऐतिहासिक संपत्ति पर मंडराता है विवाद

भोपाल रियासत की यह संपत्ति न केवल आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक मूल्य भी है। नवाब की संपत्ति को लेकर विवाद लंबे समय से चल रहा है, लेकिन हालिया घटनाक्रम ने इसे और अधिक जटिल बना दिया है।

सरकार की मंशा और कानूनी स्थिति

भारत सरकार ने शत्रु संपत्ति कानून के तहत अब तक एक लाख करोड़ रुपए से अधिक की संपत्तियों को अपने कब्जे में लिया है। इन संपत्तियों का उपयोग रिन्यूएबल एनर्जी और अन्य सार्वजनिक परियोजनाओं के लिए किया जा रहा है। यदि पटौदी परिवार अपना दावा पेश नहीं करता, तो यह संपत्ति भी सरकारी उपयोग में लाई जा सकती है।

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