
हरियाणा सरकार ने अनुसूचित जाति (Scheduled Caste) सूची में बदलाव की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर अनुसूचित जातियों की सूची से तीन जातियों के नाम हटाने की मांग की है। यह कदम सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया है। सरकार का मानना है कि इन जातियों के नाम अब अपनी प्रासंगिकता खो चुके हैं और इन्हें आपत्तिजनक संदर्भों में इस्तेमाल किया जाता है।
केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में बदलाव
अनुसूचित जाति और जनजाति सूची में किसी भी प्रकार का संशोधन केवल केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है। हरियाणा सरकार ने केंद्र को अनुसूचित जाति और जनजाति अधिनियम, 1950 में संशोधन का प्रस्ताव भेजा है। इस सूची में संशोधन संसद के माध्यम से ही संभव है। यदि इस बदलाव को मंजूरी मिलती है, तो यह केवल हरियाणा में ही नहीं बल्कि पूरे देश में लागू होगा।
कौन-कौन से जातिगत नाम हटाने का प्रस्ताव?
हरियाणा सरकार ने अनुसूचित जाति सूची से चुरा, भंगी और मोची जैसे नाम हटाने का प्रस्ताव दिया है। यह सभी जातियां अपने पारंपरिक व्यवसायों से जुड़ी रही हैं, लेकिन वर्तमान में इन नामों का उपयोग अक्सर उपहास और अपमानजनक संदर्भों में किया जाता है।
सामाजिक तनाव को कम करने की पहल
हरियाणा सरकार का मानना है कि इन नामों को सूची से हटाने से समाज में जातिगत पूर्वाग्रह और तनाव को कम करने में मदद मिलेगी। इन नामों का नकारात्मक उपयोग अक्सर जातिगत भेदभाव और समाज में विभाजन का कारण बनता है।
2013 में भी उठी थी मांग
यह पहली बार नहीं है जब अनुसूचित जाति सूची में बदलाव की मांग की गई है। 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल के दौरान भी इसी तरह का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया था। हालांकि, उस समय इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। अब वर्तमान सरकार ने इस मुद्दे को फिर से उठाया है और केंद्र से इस पर उचित कदम उठाने की उम्मीद जताई है।
अनुसूचित जाति अधिनियम, 1950 में होगा संशोधन
हरियाणा सरकार ने अपने पत्र में अनुसूचित जाति और जनजाति अधिनियम, 1950 में संशोधन की जरूरत पर जोर दिया है। यह कानून अनुसूचित जातियों और जनजातियों की सूची तैयार करने और उसमें संशोधन का अधिकार देता है। इस संशोधन के बाद ही प्रस्तावित बदलाव लागू हो पाएंगे।
पारंपरिक व्यवसाय और सामाजिक भेदभाव
हरियाणा सरकार ने अपने प्रस्ताव में बताया कि इन नामों की जड़ें पारंपरिक व्यवसायों से जुड़ी हैं। लेकिन समय के साथ इन नामों का इस्तेमाल अपमानजनक और उपहास पूर्ण तरीके से होने लगा है। इसका असर समाज में जातिगत भेदभाव और वर्गीय तनाव के रूप में दिखता है।
सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में बड़ा कदम
हरियाणा सरकार का यह कदम सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम पहल है। इससे अनुसूचित जातियों को मिलने वाले सम्मान में बढ़ोतरी होगी और समाज में समरसता कायम करने में मदद मिलेगी। सरकार ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 का भी हवाला दिया है, जो जातिगत भेदभाव और अत्याचार के खिलाफ सख्त कानून है।
केंद्र सरकार की जिम्मेदारी
अब यह केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वह हरियाणा सरकार के इस प्रस्ताव पर विचार करे। यदि यह बदलाव स्वीकृत होता है, तो इसे संसद में पेश किया जाएगा और इसके बाद पूरे देश में लागू किया जाएगा। यह कदम न केवल सामाजिक तनाव को कम करेगा बल्कि समाज में समानता और न्याय को बढ़ावा देगा।