
भारत में गणतंत्र दिवस-Republic Day और स्वतंत्रता दिवस-Independence Day दोनों राष्ट्रीय पर्व अत्यंत महत्व रखते हैं। इन दिनों राष्ट्र ध्वज को अलग-अलग प्रक्रियाओं के माध्यम से सम्मान दिया जाता है। हालांकि, बहुत से लोग ध्वजारोहण-Flag Hoisting और ध्वज फहराने-Flag Unfurling के बीच के अंतर से अनजान हैं। इस लेख में हम इन दोनों प्रक्रियाओं के महत्व, अंतर और उनके ऐतिहासिक संदर्भ को विस्तार से समझेंगे।
ध्वजारोहण और ध्वज फहराने का अर्थ और प्रक्रिया
ध्वजारोहण (Flag Hoisting) का मतलब है, झंडे को ध्वजस्तंभ के आधार से ऊपर उठाकर हवा में लहराना। इसे औपचारिक कार्यक्रमों में किया जाता है, जैसे कि स्वतंत्रता दिवस पर। यह प्रक्रिया देश की स्वतंत्रता और गौरव का प्रतीक है।
वहीं, ध्वज फहराना (Flag Unfurling) का तात्पर्य पहले से बंधे हुए झंडे को ध्वजस्तंभ के शीर्ष से रस्सी के माध्यम से खोलकर फैलाना है। गणतंत्र दिवस पर यह प्रक्रिया अपनाई जाती है, जो भारतीय गणराज्य की स्थापना और लोकतांत्रिक मूल्यों का प्रतिनिधित्व करती है।
स्वतंत्रता दिवस पर झंडा फहराने का महत्व
स्वतंत्रता दिवस हर साल 15 अगस्त को मनाया जाता है। इस दिन प्रधानमंत्री-Prime Minister दिल्ली के लाल किले पर ध्वजारोहण करते हैं। यह दिन 1947 में भारत की ब्रिटिश साम्राज्य-British Empire से स्वतंत्रता की स्मृति में मनाया जाता है।
ध्वजारोहण के समय, झंडा पोल के आधार से ऊपर उठाया जाता है। इसके साथ ही राष्ट्रगान और सैन्य सलामी-Military Salute के जरिए झंडे को सम्मानित किया जाता है। यह दिन देश की स्वतंत्रता, बलिदान और एक नए राष्ट्र के रूप में जन्म की कहानी बताता है।
गणतंत्र दिवस पर झंडे को फहराने का महत्व
गणतंत्र दिवस-26 जनवरी को मनाया जाता है। इस दिन राष्ट्रपति द्वारा ध्वज फहराने की प्रक्रिया अपनाई जाती है। झंडा पहले से ध्वजस्तंभ के शीर्ष पर बंधा होता है और रस्सी खींचकर इसे फहराया जाता है।
यह समारोह भारतीय संविधान और गणराज्य की स्थापना का प्रतीक है। यह लोकतंत्र की महानता, देश की उन्नति और नागरिकों के अधिकारों के प्रति समर्पण को दर्शाता है। इस दिन राजपथ पर भव्य परेड-Grand Parade का आयोजन होता है, जिसमें भारत की सांस्कृतिक धरोहर-Cultural Heritage और सैन्य शक्ति का प्रदर्शन किया जाता है।
दोनों प्रक्रियाओं के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भ
स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण उस समय की याद दिलाता है जब 1947 में भारत ने पहली बार अपने राष्ट्रीय ध्वज को गर्व से फहराया। यह दिन ब्रिटिश शासन के अंत और आजादी की घोषणा का प्रतीक है।
इसके विपरीत, गणतंत्र दिवस पर ध्वज फहराना संविधान की स्वीकृति और लोकतंत्र के प्रति हमारे समर्पण को प्रकट करता है। यह दिन हमें भारतीय गणराज्य की नींव और हमारे अधिकारों और कर्तव्यों की याद दिलाता है।
झंडे को सम्मान देने का सही तरीका
राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान हर भारतीय का कर्तव्य है। इसे हमेशा सही प्रक्रिया के साथ और मर्यादा में रखा जाना चाहिए। दोनों राष्ट्रीय पर्वों पर झंडे को फहराने या लहराने की प्रक्रिया इस बात का प्रतीक है कि हम अपने देश के संवैधानिक मूल्यों-Constitutional Values और इतिहास का आदर करते हैं।
ध्वजारोहण और ध्वज फहराने के जरिए एकता और देशभक्ति का संदेश
हालांकि ध्वजारोहण और ध्वज फहराने की प्रक्रिया में अंतर है, लेकिन इनका उद्देश्य एक ही है—देश की आजादी और लोकतंत्र का सम्मान करना। ये पर्व हमें हमारे स्वतंत्रता संग्राम-Freedom Struggle के बलिदानों और लोकतंत्र के प्रति हमारे समर्पण की याद दिलाते हैं।
स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस दोनों ही हमारे इतिहास के अद्वितीय मोड़ हैं। ये दिन भारत की सांस्कृतिक और लोकतांत्रिक धरोहर-Cultural and Democratic Heritage को जीवित रखते हैं और नागरिकों को देशभक्ति के प्रति प्रेरित करते हैं।